- खुद खा लेना प्रकृति कहलाती है !
दूसरों का हिस्सा भी खा लेना विकृति कहलाती है ! अपना हिस्सा भी दूसरों को दे देना संस्कृति कहलाती है !
- परम पूज्य सद्गुरुदेव श्री सुधांशुजी महाराज
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